Hanuman Chalisa Lyrics in Hindi and English Text With Meaning

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Hanuman Chalisa Lyrics in Hindi / Hanuman Chalisa in English : हनुमान चालीसा एक प्रसिद्ध हिन्दू धार्मिक ग्रंथ है, जिसमें हनुमानजी की महिमा, उनके गुण, और महत्त्व का वर्णन किया गया है। यह प्राचीन समय से ही पढ़ा जाता रहा है और उसके पाठ का माना जाता है कि यह भक्ति और शक्ति का आधार है।

हनुमान चालीसा इन हिंदी (Hanuman Chalisa Lyrics in Hindi)

दोहा:
श्रीगुरु चरण सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि॥

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन कुमार।
बल बुद्धि विद्या देहु मोहि, हरहु कलेस बिकार॥

चौपाई

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर॥

रामदूत अतुलित बल धामा।
अंजनि पुत्र पवनसुत नामा॥

महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी॥

कंचन बरन विराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा॥

हाथ वज्र औ ध्वजा विराजै।
कांधे मूँज जनेऊ साजै॥

शंकर सुवन केसरी नंदन।
तेज प्रताप महाजग वंदन॥

विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबेको आतुर॥

प्रभु चरित्र सुनिबेको रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया॥

सूक्ष्म रूप धरी सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा॥

भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज संवारे॥

लाय सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुवीर हरषिउ उर लाये॥

रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई॥

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं॥

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा॥

यम कुबेर दिगपाल जहाँ ते।
कवि कोविद कहि सके कहाँ ते॥

तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा।
राम मिलाय राजपद दीन्हा॥

तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।
लंकेश्वर भए सब जग जाना॥

युग सहस्र योजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही।
जलधि लांघि गये अचरज नाही॥

दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥

राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥

सब सुख लहैं तुम्हारी सरना।
तुम रच्छक काहू को डर ना॥

आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हाँक तें कांपै॥

भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै॥

नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा॥

संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥

सब पर राम तपस्वी राजा।
तिनके काज सकल तुम साजा॥

और मनोरथ जो कोई लावै।
सोई अमित जीवन फल पावै॥

चारों युग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा॥

साधु संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे॥

अष्टसिद्धि नौ निधि के दाता।
अस वर दीन्ह जानकी माता॥

राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा॥

तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम-जनम के दुख बिसरावै॥

अंत काल रघुबर पुर जाई।
जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई॥

और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेई सर्व सुख करई॥

संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥

जय जय जय हनुमान गोसाई।
कृपा करहु गुरुदेव की नाई॥

जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई॥

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा॥

तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय महं डेरा॥

दोहा:
पवन तनय संकट हरण, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुरभूप॥

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Hanuman Chalisa in English Text

Here is the full Hanuman Chalisa in English :

Doha

“Shri Guru Charan Saroj Raj, Nij Man Mukur Sudhari,
Barnau Raghuvar Bimal Jasu, Jo Dayaku Phal Chari.

Buddhi hin Tanu Jaanike, Sumirau Pavan Kumar,
Bal Buddhi Vidya Dehu Mohi, Harahu Kalesh Vikaar.

Chopai

Jai Hanuman Gyan Gun Sagar,
Jai Kapis Tihun Lok Ujagar.

Ram Doot Atulit Bal Dhama,
Anjani Putra Pavansut Naama.

Mahavir Bikram Bajrangi,
Kumati Nivar Sumati Ke Sangi.

Kanchan Baran Biraaj Subesa,
Kanan Kundal Kunchit Kesa.

Haath Vajra Aur Dhvaja Biraje,
Kaandhe Moonj Janeu Saaje.

Shankar Suvan Kesari Nandan,
Tej Pratap Maha Jag Vandan.

Vidyavaan Guni Ati Chatur,
Ram Kaaj Karibe Ko Aatur.

Prabhu Charitra Sunibe Ko Rasiya,
Ram Lakhan Sita Man Basiya.

Sukshma Roop Dhari Siyahin Dikhava,
Vikat Roop Dhari Lank Jarava.

Bhima Roop Dhari Asur Sanhare,
Ramachandra Ke Kaj Savare.

Laye Sanjivan Lakhan Jiyaye,
Shri Raghuvir Harashi Ur Laiye.

Raghupati Kinhi Bahut Badai,
Tum Mam Priye Bharat Sam Bhai.

Sahas Badan Tumharo Jas Gaave,
Asa Kahi Shripati Kanth Laagave.

Sankadik Brahmadi Muneesa,
Narad Sarad Sahit Aheesa.

Yam Kuber Digpal Jahan Te,
Kavi Ko Vidh Kahi Sake Kahan Te.

Tum Upkar Sugreevahin Keenha,
Ram Milaye Rajpad Deenha.

Tumharo Mantra Vibheeshan Maana,
Lankeshwar Bhaye Sab Jag Jaana.

Yug Sahasra Yojan Par Bhanu,
Leelyo Taahi Madhur Phal Janu.

Prabhu Mudrika Meli Mukh Maahi,
Jaladhi Langhi Gaye Acharaj Naahi.

Durgam Kaaj Jagat Ke Jete,
Sugam Anugraha Tumhre Tete.

Ram Duware Tum Rakhvare,
Hot Na Aagya Binu Paisare.

Sab Sukh Lahai Tumhari Sar Na,
Tum Rakshak Kaahu Ko Dar Na.

Aapan Tej Samharo Aapai,
Teenhon Lok Haak Te Kaapai.

Bhoot Pishach Nikat Nahi Aavai,
Mahabir Jab Naam Sunavai.

Nase Rog Hare Sab Peera,
Japat Niranter Hanumant Beera.

Sankat Te Hanuman Chhudavai,
Man Kram Bachan Dhyan Jo Lave.

Sab Par Ram Tapasvi Raja,
Tin Ke Kaaj Sakal Tum Saaja.

Aur Manorath Jo Koi Laave,
Soi Amit Jivan Phal Paave.

Charo Yug Par Taap Tumhara,
Hai Par Siddhi Jagat Ujiyara.

Sadhu Sant Ke Tum Rakhvare,
Asur Nikandan Ram Dulare.

Ashta Sidhi Nau Nidhi Ke Daata,
Asa Bar Deen Janaki Mata.

Ram Rasayan Tumhare Paasa,
Sada Raho Raghupati Ke Daasa.

Tumhare Bhajan Ram Ko Paave,
Janam Janam Ke Dukh Bisraave.

Anta Kaal Raghubar Pur Jaayee,
Jahaan Janma Hari Bhakta Kahaayee.

Aur Devata Chit Na Dharaai,
Hanumat Sei Sarva Sukh Karaai.

Sankat Kate Mite Sab Peera,
Jo Sumire Hanumat Balbeera.

Jai Jai Jai Hanuman Gosai,
Kripa Karahu Gurudev Ki Naai.

Jo Sat Baar Paath Kar Koi,
Chhutahi Bandi Maha Sukh Hoi.

Jo Yah Padhe Hanuman Chalisa,
Hoy Siddhi Saakhi Gaurisa.

Tulsidas Sada Hari Chera,
Keejai Nath Hriday Mah Dera.

Doha
Pavan Tanay Sankat Haran, Mangal Moorti Roop.
Ram Lakhan Sita Sahit, Hriday Basahu Sur Bhoop.”

हनुमान चालीसा का अर्थ (Meaning of Hanuman Chalisa)

Here is the full Hanuman Chalisa in Hindi along with the meaning in Hindi:

श्री हनुमान चालीसा

श्रीगुरु चरण सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरणउँ रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि॥

अर्थ: जो अपने मन, मुख और अंतःकरण को अपने गुरु के चरणों के ध्यान में समर्पित करता है, उसका मन मनुष्य के रूप में सुधार हो जाता है। मैं रघुकुल के बारे में जो पावन, पवित्र और शुद्ध गुणों से युक्त है, उनका गुणगान करता हूं। ऐसे रघुकुल में पैदा हुआ परमप्रिय फल चारित्र्य है।

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुधि बिद्या देहु मोहि, हरहु कलेस बिकार॥

अर्थ: हे पवनपुत्र! जिनको बुद्धि की कमी है, ऐसे अज्ञानी मनुष्य को मैं आपकी स्मृति में ध्यान में लेता हूं। आप मुझे शक्ति, बुद्धि और विद्या प्रदान करें और मुझे संसारिक विकारों को हरा दें।

जय हनुमान ज्ञान गुण सागर।
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥

अर्थ: हे हनुमान जी! आपको जय हो। आप ज्ञान और गुणों के समुद्र हैं। आपको जय हो, जो तीनों लोकों को प्रकाशित करने वाले हैं।

रामदूत अतुलित बलधामा।
अञ्जनि-पुत्र पवनसुत नामा॥

अर्थ: हे रामभक्त हनुमान! आपका बल अतुलनीय है और आप अपने माता अंजना के पुत्र, पवनपुत्र हैं।

महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी॥

अर्थ: हे वीर हनुमान! आप महान वीर हैं, आपका बजरंगी नाम है। आप मनुष्य की बुरी बुद्धि को दूर करने वाले सुमति के संगी हैं।

कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुञ्चित केसा॥

अर्थ: हे हनुमान जी! आप सोने जैसे वर्णमाला के साथ अत्यंत सुन्दर प्रतीत होते हैं। आपके कानों में कुंडल और बाल उत्तम धारण किए हुए हैं।

हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
कांधे मूँज जनेऊ साजै॥

अर्थ: हे हनुमान जी! आपके हाथ में वज्र और ध्वज हैं। आपकी कंधों पर मुजेरा और जनेऊ है।

संकर सुवन केसरीनंदन।
तेज प्रताप महा जग वंदन॥

अर्थ: हे संकर सुवन, श्रीकेसरी

नंदन हनुमान! आप तेज की अपार प्रताप सहित महा जग को वंदन करने योग्य हैं।

विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबेको आतुर॥

अर्थ: हे हनुमान जी! आप बुद्धिमान, गुणी और अत्यंत चातुर हैं। आपको राम के कार्य करने की बहुत बड़ी इच्छा है।

प्रभु चरित्र सुनिबेको रसिया।
रामलखन सीता मन बसिया॥

अर्थ: हे हनुमान जी! आप भगवान राम के चरित्र को सुनने में रसिक हैं। आप राम, लक्ष्मण और सीता के मन में बसे हुए हैं।

सूक्ष्म रूपधरि सियहिं दिखावा।
विकट रूपधरि लँक जरावा॥

अर्थ: हे हनुमान जी! आपने माता सीता को सूक्ष्म रूप में दिखाया और लंका को विकट रूप में जलाया।

भीम रूपधरि असुर संहारे।
रामचन्द्र के काज संवारे॥

अर्थ: हे हनुमान जी! आपने भीम रूप धारण करके असुरों का संहार किया और भगवान रामचंद्र के कार्यों को सम्पूर्णत: संवारा।

लाय सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुवीर हरषि उर लाये॥

अर्थ: हे हनुमान जी! आपने सजीवनी लाकर लक्ष्मण को जीवित किया और श्रीरामचंद्र जी के वीर्य से हमेशा जो उत्साहित रहते हैं।

रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई॥

अर्थ: हे हनुमान जी! आपने श्रीरामचंद्र जी की बहुत बड़ी प्रशंसा की है। आप मेरे प्रिय भरत को समान भाई समझते हैं।

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं॥

अर्थ: हे हनुमान जी! अनेकों योद्धाओं की तुलना में आपके जितने शरीर हैं, वे सब आपका गुणगान करते हैं। ऐसा श्रीरामचंद्र जी ने कहकर अपने कंधे पर आपका मुख लगाया।

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा॥

अर्थ: सनकादि मुनियों सहित ब्रह्मा आदि सभी मुनियों ने नारद सहित अहीसा हनुमान जी का गुणगान किया।

जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते।
कवि कोविद कहि सकैं कहाँ ते॥

अर्थ: जमराज, कुबेर और दिग्गज देवताओं ने भी हनुमान जी का स्तुति किया। कवियों ने भी कह सकते हैं कि ह

नुमान जी कितने महान हैं, लेकिन वे इसकी सीमा में रह जाते हैं।

तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राजपद दीन्हा॥

अर्थ: आपने सुग्रीव की मदद की और उन्हें श्रीरामचंद्र जी से मिलवाया और उन्हें उनकी राज्यपद को दिया।

तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।
लंकेश्वर भए सब जग जाना॥

अर्थ: हे हनुमान जी! आपके मंत्र का विभीषण ने मान्यता दी। सारे जगत् को लंकेश्वर बनाया गया।

जुग सहस्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥

अर्थ: यहाँ भानु ताहि सूर्य के बारह हजार युगों का जिक्र है। और उन्होंने जो लीलाएँ कीं, उन्हें मुझे मधुर फल समझना चाहिए।

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं॥

अर्थ: हे हनुमान जी! प्रभु रामचंद्र जी के मुख से आपको मुद्रिका (अधिकार) मिला। आपने समुद्र को लांघकर पार किया, इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है।

दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥

अर्थ: जो कार्य इस संसार में अत्यंत कठिन हैं, उन्हें भी आप आसानी से कर देते हैं। आपकी कृपा के बिना कोई भी कार्य सम्पन्न नहीं हो सकता।

राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥

अर्थ: हे हनुमान जी! आप भगवान श्रीरामचंद्र जी के द्वार पर रखवाले हैं। आपकी अनुमति के बिना कोई भी कार्य सम्पन्न नहीं होता।

सब सुख लहैं तुम्हारी सरना।
तुम रच्छक काहू को डर ना॥

अर्थ: हे हनुमान जी! आपकी शरण में आने से सभी सुख प्राप्त होते हैं। आप किसी को भी डराने वाले नहीं होते।

आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक तें कांपै॥

अर्थ: आपने अपनी शक्ति को संयमित किया है। आपकी तेज से तीनों लोक कांपते हैं।

भूत पिशाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै॥

अर्थ: भूत-प्रेत आदि किसी भी प्रकार के भयानक प्राणी आपके पास नहीं आते हैं, जब आपका नाम सुनते हैं, हे महावीर हनुमान!

ासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा॥

अर्थ: हे हनुमान जी! आपका जप करने से सभी रोग और सब पीड़ा हो जाती है।

संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम वचन ध्यान जो लावै॥

अर्थ: आप हमें संकट से छुटकारा दिलाते हैं। जो व्यक्ति मन, क्रिया, वाचन और ध्यान के साथ आपका ध्यान करता है।

सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा॥

अर्थ: सभी पर आपका राम राजा हैं। वह तपस्वी हैं और उन्होंने तीनों लोकों के सभी कार्यों को सम्पन्न किया है।

और मनोरथ जो कोई लावै।
सोई अमित जीवन फल पावै॥

अर्थ: और जो भी कोई आपकी शरण में आता है, वह अमित जीवन के फल को प्राप्त करता है।

चारों युग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा॥

अर्थ: हे हनुमान जी! आपकी प्रताप चारों युगों में अप्रतिम है। सारी दुनिया आपके प्रकाश को परिपूर्णत: स्वीकार करती है।

साधु संत के तुम रखवारे।
असुरनिकंदन राम दुलारे॥

अर्थ: हे हनुमान जी! आप साधु-संतों के रक्षक हैं और भगवान राम के प्रिय हैं, जो असुरों का नाश करते हैं।

अष्टसिद्धि नव निधि के दाता।
अस बर दीन्ह जानकी माता॥

अर्थ: आप अष्टसिद्धियों और नौ निधियों के दाता हैं और जानकी माता को अपना वचन दे चुके हैं।

राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा॥

अर्थ: हे हनुमान जी! राम रसायन (भगवान राम के गुण) आपके पास हैं। आप सदा ही श्रीरामचंद्र जी के दास रहें।

तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम-जनम के दुख बिसरावै॥

अर्थ: जो भी व्यक्ति आपकी भक्ति करता है, वह भगवान राम को प्राप्त होता है और वह जन्म-जन्म के दुःखों को भूल जाता है।

अंतकाल रघुबर पुरजाई।
जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई॥

अर्थ: हे हनुमान जी! श्रीरामचंद्र जी ने आपके बारे में उस स्थान को कहा है, जहाँ भगवान के भक्त का जन्म होता है, वहां अंतिम समय में भी भग

वान की याद रहती है।

और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्व सुख करई॥

अर्थ: और वे देवता भी आपकी ध्यान में नहीं हैं। हनुमान जी ही सभी सुख प्रदान करते हैं।

संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥

अर्थ: जो भी व्यक्ति हनुमान जी को स्मरण करता है, उसका सभी संकट दूर हो जाता है और सभी पीड़ा मिट जाती है।

जय जय जय हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं॥

अर्थ: हे हनुमान जी! आपको जय हो, जय हो, जय हो! हे गोसाईं! कृपा करें, गुरुदेव की सहायता करें।

जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई॥

अर्थ: जो कोई भक्त हनुमान चालीसा का सत्रह बार पाठ करता है, उसके सभी बंधन तोड़ दिए जाते हैं और वह महान सुख प्राप्त करता है।

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा॥

अर्थ: जो व्यक्ति हनुमान चालीसा को पढ़ता है, उसके साथी बनकर बैठ जाते हैं और उनके साथ श्री गौरीसा (शिव) के आशीर्वाद से सभी कार्य सिद्ध हो जाते हैं।

तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय महँ डेरा॥

अर्थ: तुलसीदास ने हमेशा हरि का गुणगान किया है। हे नाथ! आप हमारे हृदय में बसे रहें।

हरि अनंत हरि कथा अनंता।
कहहिं सुनहिं तब तुम भक्ता॥

अर्थ: हे हरि! आपकी कथाएँ अनंत हैं। हे हनुमान! जब कभी कथाएँ कहते और सुनाते हैं, तो आप भक्त बन जाते हैं।

साँचा तेरा नाम निराला।
केहि जानत है जग में जब जराला॥

अर्थ: हे हनुमान! आपका नाम ही अनूठा है। जब भी इसे कोई भक्त उच्चारण करता है, तो जगत् को अपनी अद्भुत शक्तियों का अनुभव होता है।

संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥

अर्थ: जो भी व्यक्ति हनुमान जी का स्मरण करता है, उसका सभी संकट कट जाता है और सभी पीड़ा मिट जाती है।

ॐ जय हनुमान ज्ञान गुण सागर।
ॐ जय कपीस तिहुँलोक उजागर॥

अर्थ: हे हनुमान जी! आपको विजयी हो। आप ज्ञान और गुणों के सागर हैं। आपको विजयी हो, हे कपीश्वर! जो तीनों लोकों में प्रकाश करते हैं।

रामदूत अतुलित बलधामा।
अंजनि पुत्र पवनसुत नामा॥

अर्थ: हे रामका दूत! आप अतुलनीय बल के धाम हैं। आप हनुमान जी, माता अंजनी के पुत्र और पवनपुत्र हैं।

महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी॥

अर्थ: आप महावीर, बिक्रमी, बजरंगबली हैं। आप दुर्मति को नष्ट करते हैं और सुमति के साथी हैं।

कंचन वरण विराज सुबेसा।
कानन कुण्डल कुंचित केसा॥

अर्थ: आपका वर्ण कंचन (स्वर्ण) का है और आप सुंदर वस्त्रों से विभूषित हैं। आपके कानों में कुण्डल हैं और बाल सुंदरता से बुने हुए हैं।

हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
कांधे मूँज जनेऊ साजै॥

अर्थ: आपके हाथों में वज्र और ध्वजा हैं। आपके कंधे पर मूंज और जनेऊ सजे हुए हैं।

शंकर सुवन केसरी नंदन।
तेज प्रताप महा जगवंदन॥

अर्थ: हे शंकर सुन्दर! हे केसरी नंदन! आपके तेज और प्रताप को सम्पूर्ण जगत् का वंदन है।

विद्यावान गुणी अति चातुर।
राम काज करिबेको आतुर॥

अर्थ: आप बुद्धिमान, गुणी और अत्यंत चातुर हैं। आपको राम के कार्य करने की बहुत बड़ी इच्छा है।

प्रभु चरित्र सुनिबेको रसिया।
रामलखन सीता मन बसिया॥

अर्थ: आप भगवान राम के चरित्र को सुनने

में रमणीय लगते हैं। आपका मन श्रीरामचंद्र, लक्ष्मण और सीता की प्रेम में रमा हुआ है।

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
विकट रूप धरि लंक जरावा॥

अर्थ: आपने हनुमान जी के रूप में सीता माता को दिखाया। और विकट रूप में लंका को जलाया।

भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज संवारे॥

अर्थ: आपने भीम रूप धारण किया और असुरों का संहार किया। आपने भगवान श्रीरामचंद्र जी के सभी कार्यों को संपन्न किया।

लाय सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये॥

अर्थ: आपने लक्ष्मण को जीवनदान दिया और उन्हें पुनः जगाया। इससे श्रीरामचंद्र जी बहुत खुश हुए और उनके हृदय में हर्ष उत्पन्न हुआ।

रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई॥

अर्थ: आपने भगवान श्रीरामचंद्र जी की बहुत बड़ी प्रशंसा की। आप मेरे और मेरे प्रिय भरत के समान भाई हैं।

सहस बदन तुम्हरो यश गावै।
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावै॥

अर्थ: हे हनुमान जी! हजारों मुखवाले आपकी प्रशंसा करते हैं। भगवान श्रीरामचंद्र जी भी इसे अपने कंठ में लगाकर कहते हैं।

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा॥

अर्थ: सनकादिक ब्रह्मा, वेदव्यास और अन्य महर्षि, नारद, सारद और अहीसा सहित।

जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कवि कोविद कहि सके कहां ते॥

अर्थ: यमराज, कुबेर, दिग्गज (धर्मराज और विजय) जहाँ होते हैं। कवि तुलसीदास ने कहीं उनकी कथा की है?

तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राजपद दीन्हा॥

अर्थ: हे हनुमान जी! आपने सुग्रीव की मदद की और उन्हें श्रीरामचंद्र जी से मिलवाया और उन्हें उनकी राज्यपद को दिया।

तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।
लंकेश्वर भए सब जग जाना॥

अर्थ: हे हनुमान जी! आपके मंत्र का विभीषण ने मान्यता दी। सारे जगत् को लंकेश्वर बनाया गया।

जुग सहस्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल ज

ानू॥

अर्थ: जिस पर भानु (सूर्य) चारों युगों तक प्रकाशित होता है, उस श्रीरामचंद्र जी की लीलाएँ अत्यंत मधुर हैं।

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही।
जलधि लांघि गये अचरज नाही॥

अर्थ: हे हनुमान जी! प्रभु की मुद्रा को अपने मुख में रखकर आपने सागर को लांघ डाला, यह कोई अद्भुत बात नहीं है।

दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥

अर्थ: जो कार्य दुर्गम होते हैं, वे सभी आपके अनुग्रह से सुगम हो जाते हैं।

राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥

अर्थ: आप राम के द्वारपाल हैं और आपके बिना उनकी कोई आज्ञा पूरी नहीं होती।

सब सुख लहैं तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डर ना॥

अर्थ: सभी सुख आपकी शरण में हैं। आप किसी का भय नहीं करते, आप सभी का रक्षक हैं।

आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हाँक तें काँपे॥

अर्थ: आपने अपनी प्राचीन और भयंकर शक्ति को संभाला है। तीनों लोक आपके भय से काँप जाते हैं।

भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै॥

अर्थ: भूत-पिशाच आपके निकट नहीं आते हैं, जब तक कि महावीर हनुमान जी का नाम सुनाया जाता है।

नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा॥

अर्थ: हे हनुमान जी! आपका जप करने से सभी रोग और सभी पीड़ा हो जाती है।

संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम वचन ध्यान जो लावै॥

अर्थ: हे हनुमान जी! आप हमें संकट से छुटकारा दिलाते हैं। जो व्यक्ति मन, क्रिया, वाचन और ध्यान के साथ आपका ध्यान करता है।

सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा॥

अर्थ: हे हनुमान जी! सभी पर आपका राम राजा हैं। वह तपस्वी हैं और उन्होंने तीनों लोकों के सभी कार्यों को सम्पन्न किया है।

और मनोरथ जो कोई लावै।
सोई अमित जीवन फल पावै॥

अर्थ: और जो भी कोई आपकी शरण में आता है, वह अमित जीवन के फल को प्राप्त करता है।

चारों यु

ग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा॥

अर्थ: आपका पराक्रम चारों युगों में अद्वितीय है। सारा जगत् आपके प्रकाश से आश्चर्य में है।

साधु संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन रामदूत बारे॥

अर्थ: आप साधु-संतों के रक्षक हैं और असुरों को मारने वाले रामके दूत हैं।

अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता।
अस बर दीन्ह जानकी माता॥

अर्थ: आप अष्ट सिद्धियों के और नौ निधियों के दाता हैं। आपने सीता माता के लिए सभी वस्त्र दिए हैं।

राम रसायन तुम्हरे पासा।
सादा रहो रघुपति के दासा॥

अर्थ: आपके पास राम रसायन (राम के नाम की अमृत तुलनात्मक महिमा) है। आप हमेशा श्रीरामचंद्र जी के भक्त रहें।

तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम जनम के दुख बिसरावै॥

अर्थ: जो भी व्यक्ति आपका भजन करता है, वह श्रीरामचंद्र जी को प्राप्त होता है और जन्म-जन्म के सभी दुःख भूल जाता है।

अंत काल रघुबर पुरजाई।
जहां जन्म हरिभक्त कहाई॥

अर्थ: अंत काल में श्रीरामचंद्र जी की शरण में जाने वाला व्यक्ति स्वर्ग को प्राप्त होता है। वहाँ उसे हरिभक्त कहा जाता है।

और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्व सुख करई॥

अर्थ: और वे देवता भी आपकी ध्यान में नहीं हैं। हनुमान जी ही सभी सुख प्रदान करते हैं।

जय जय जय हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं॥

अर्थ: हे हनुमान जी! आपको जय हो, जय हो, जय हो! हे गोसाईं! कृपा करें, गुरुदेव की सहायता करें।

जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई॥

अर्थ: जो भक्त हनुमान चालीसा का सत्रह बार पाठ करता है, उसके सभी बंधन तोड़ दिए जाते हैं और वह महान सुख प्राप्त करता है।

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा॥

अर्थ: जो व्यक्ति हनुमान चालीसा को पढ़ता है, उसके साथी बनकर बैठ जाते हैं और उनके साथ श्री गौरीसा (शिव) के आशीर्वाद से सभी कार्य सिद्ध हो जात

े हैं।

तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय महँ डेरा॥

अर्थ: तुलसीदास हमेशा हरि के चरणों में लगे रहते हैं। हे नाथ! कृपा करके हमारे हृदय में आवास करें।

दोहा:

पवनतनय संकट हरन मङ्गल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप॥

अर्थ: हे हनुमान जी! आप पवनपुत्र हैं, संकट को हरने वाले हैं, मङ्गलमय और मूर्तिमान रूप हैं। हे राम, लक्ष्मण, सीता सहित होकर, आप हमारे हृदय में बसें, हे देवराज! यह सभी विचार हमारे हृदय में आये॥

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